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Hira Kohinur (हिरा कोहिनूर)

Sagar Tiri Ya Hira Kohinur Bhim Jalala Marathi Bheemgeet by Milind Shinde Lyrics by Rajas Jadhav

Lyrics: Hira Kohinur (हिरा कोहिनूर)

या क्षितिजावर थांबून क्षणभर...2 तेज रवि मावळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...2

या क्षितिजावर थांबून क्षणभर...2 तेज रवि मावळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...2

शून्य झाहल्या त्या सा-या अशा दसदिशा,
करुन निराशा ही जिवनाने एक विनाशा,
दीन दुःखीतांच्या सुख स्वप्नांचा...2
उंच मनोरा घडला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...।।1।।

सहा डिसेंबर ती रात भयानक काळी,
दुःख वियोगे या नित्य जीवनाला जाई,
पतितांच्या त्या कंठामधला...2 कंठ मनी तो गळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...।।2।।

चंदन शैली या भाग मनी तो जळता,
शोक विवल सारी पाहून ही हीन जनता,
खिन्न अवस्था पाहूनिया ऐसी...2
वैरी सुध्दा हळहळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...।।3।।

प्रिय सुपूत्राला ऐसी अचानक मुक्तता,
दीन दुःखीतांना आता कुणी न राजस दाता,
करिता आकांता भारत माता...2
अश्रू पूर ओघळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...।।4।।

या क्षितिजावर थांबून क्षणभर...2 तेज रवि मावळला,
सागर तिरी या हिरा कोहिनूर भिम जळला...

Lyrics By: Rajas Jadhav


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